अटलांटिक महासागर का परिचय
अटलांटिक महासागर (Atlantic Ocean) पृथ्वी का दूसरा सबसे बड़ा महासागर है। यह महासागर दो महाद्वीपों—उत्तर अमेरिका और दक्षिण अमेरिका से लेकर यूरोप और अफ्रीका तक फैला हुआ है। अटलांटिक महासागर का क्षेत्रफल लगभग 106.5 मिलियन वर्ग किलोमीटर (41 मिलियन वर्ग मील) है, और यह समुद्र का लगभग 20% क्षेत्र कवर करता है।
स्थान और विस्तार
अटलांटिक महासागर उत्तरी गोलार्ध में आर्कटिक महासागर से लेकर दक्षिणी गोलार्ध में दक्षिणी महासागर तक विस्तृत है। यह महासागर पश्चिम में अमेरिका के तटों से, और पूर्व में यूरोप तथा अफ्रीका के तटों से घिरा हुआ है। इसकी लंबाई लगभग 4,000 मील (6,400 किलोमीटर) है और औसतन चौड़ाई 2,000 मील (3,200 किलोमीटर) है।
मुख्य क्षेत्रों और सीमाएँ
- उत्तर में: आर्कटिक महासागर से जुड़ा हुआ है।
- दक्षिण में: दक्षिणी महासागर से जुड़ा हुआ है।
- पश्चिम में: उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका के तटों से।
- पूर्व में: यूरोप और अफ्रीका के तटों से।
अटलांटिक महासागर को गुल्फ स्ट्रीम जैसी प्रमुख समुद्री धाराओं की विशेषता प्राप्त है, जो समुद्र के गर्म पानी को उत्तर की ओर ले जाती है और इससे यूरोप की जलवायु प्रभावित होती है।
महत्वपूर्ण द्वीप समूह
अटलांटिक महासागर में कई महत्वपूर्ण द्वीप समूह हैं, जिनमें प्रमुख हैं:
- कैरेबियाई द्वीप: इसमें हैती, डोमिनिकन गणराज्य, जमैका, और अन्य द्वीप शामिल हैं।
- अज़ोरेस द्वीप: ये पुर्तगाल के क्षेत्र में हैं।
- कैनरी द्वीप: ये स्पेन के अंतर्गत आते हैं।
- मेडेरा द्वीप: यह पुर्तगाल के अधीन है।
अर्थव्यवस्था और संसाधन
अटलांटिक महासागर में कई महत्वपूर्ण समुद्री संसाधन पाए जाते हैं:
- मछली पालन: अटलांटिक महासागर में मछली पकड़ने की महत्वपूर्ण उद्योग है। यहाँ मछली, शंख, और अन्य समुद्री जीवों का शिकार किया जाता है।
- तेल और गैस: अटलांटिक महासागर के समुद्रतल में तेल और गैस के विशाल भंडार हैं, जिनका खनन विभिन्न देशों द्वारा किया जाता है।
- वाणिज्यिक जलमार्ग: यह महासागर वाणिज्यिक जहाजों के लिए महत्वपूर्ण मार्ग है, जो यूरोप, अमेरिका और अफ्रीका के बीच मालवाहन करते हैं।
ऐतिहासिक महत्व
अटलांटिक महासागर का ऐतिहासिक महत्व बहुत अधिक है।
- उपनिवेशीकरण: 15वीं और 16वीं सदी में यूरोपीय नाविकों ने अटलांटिक महासागर को पार कर नई दुनिया की खोज की। क्रिस्टोफर कोलंबस ने 1492 में अटलांटिक महासागर पार करते हुए अमेरिका की खोज की थी।
- गुलामी का व्यापार: अटलांटिक महासागर के जरिए अफ्रीका से अमेरिका तक गुलामी का व्यापार हुआ, जिसे अटलांटिक दास व्यापार के नाम से जाना जाता है।
जलवायु और पारिस्थितिकी
अटलांटिक महासागर में विभिन्न जलवायु क्षेत्र हैं:
- उष्णकटिबंधीय जलवायु: दक्षिणी अटलांटिक क्षेत्र में।
- मध्यम या समशीतोष्ण जलवायु: उत्तरी अटलांटिक क्षेत्र में। यह महासागर हurricanes (तूफान) और ट्रॉपिकल स्टॉर्म्स (उष्णकटिबंधीय तूफान) के
- लिए भी जाना जाता है, जो विशेष रूप से कैरेबियाई और अमेरिकी तटीय क्षेत्रों में प्रभावित करते हैं।
अटलांटिक महासागर के नितल (seafloor) और उच्चावस (surface) के बीच एक महत्वपूर्ण अंतर होता है। नितल से जुड़ी कुछ प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:
1. समुद्रतल की संरचना (Seafloor Topography):
अटलांटिक महासागर का समुद्रतल विभिन्न प्रकार की संरचनाओं से बना हुआ है, जिनमें समतल क्षेत्र, पर्वतीय श्रृंखलाएँ, गहरे गड्ढे और तलहटी शामिल हैं। कुछ प्रमुख संरचनाएँ निम्नलिखित हैं:
मध्य महासागरीय पर्वतमाला (Mid-Atlantic Ridge): यह दुनिया की सबसे लंबी पर्वत श्रृंखला है, जो अटलांटिक महासागर के बीचों-बीच फैली हुई है। यह रेखा लगभग 16,000 किलोमीटर (10,000 मील) लंबी है और महासागर के निचले हिस्से को दो भागों में बाँटती है। इस पर्वतमाला में दो टेक्टोनिक प्लेटों के बीच विस्थापन हो रहा है, जिससे समुद्र की सतह पर विभाजन (rift) और विस्फोटक गतिविधियाँ होती हैं।
गहरी खाइयाँ और गड्ढे (Deep Trenches and Basins): अटलांटिक महासागर में कई गहरे क्षेत्र भी हैं, जैसे प्यूर्टो रिको ट्रेंच (Puerto Rico Trench), जो महासागर का सबसे गहरा बिंदु है। इस ट्रेंच में गहराई 8,376 मीटर (27,480 फीट) तक जा सकती है।
समुद्रगर्भीय पठार (Continental Shelf): महासागर के किनारे के आस-पास समतल क्षेत्रों को समुद्रगर्भीय पठार कहा जाता है, जो जल की कम गहराई (200 मीटर तक) में फैले होते हैं। इन क्षेत्रों में समृद्ध समुद्री जीवन पाया जाता है और यह मछली पालन के लिए महत्वपूर्ण होते हैं।
2. समुद्रगर्भीय प्लेटों का गति और विस्तार:
अटलांटिक महासागर में समुद्रतल की गति प्लेट टेक्टोनिक्स के कारण होती है। मध्य महासागरीय पर्वतमाला के क्षेत्र में दो प्रमुख टेक्टोनिक प्लेटें—उत्तर अमेरिकी प्लेट और इसीन प्लेट—एक-दूसरे से दूर हो रही हैं, जिससे महासागर के नितल पर फैलाव हो रहा है। यह प्रक्रिया नए समुद्रतल के निर्माण और पुरानी प्लेटों के नष्ट होने का कारण बनती है।
3. होट स्पॉट्स और ज्वालामुखीय गतिविधि:
अटलांटिक महासागर में कुछ जगहों पर हॉट स्पॉट्स (Hot Spots) और ज्वालामुखीय गतिविधियाँ देखी जाती हैं। इसका एक उदाहरण आइसलैंड है, जो एक सक्रिय ज्वालामुखीय क्षेत्र है। यहाँ के ज्वालामुखीय गतिविधियाँ और गर्म पानी की धाराएँ महासागर के तल को गर्म करती हैं और जैव विविधता को बढ़ाती हैं।
4. समुद्र की धाराएँ (Ocean Currents):
अटलांटिक महासागर के नितल में प्रमुख समुद्रधाराएँ भी मौजूद हैं, जो महासागर की तापमान और नमी को नियंत्रित करती हैं। इनमें से सबसे प्रमुख है गुल्फ स्ट्रीम (Gulf Stream), जो गर्म पानी को भूमध्य रेखा से उत्तरी गोलार्ध की ओर लेकर जाती है। यह समुद्रधारा उत्तरी यूरोप की जलवायु को गर्म करती है। इसके अतिरिक्त, अटलांटिक महासागर में कैनरी धाराएँ (Canary Current) और लाब्राडोर धाराएँ (Labrador Current) भी महत्वपूर्ण हैं।
5. समुद्रतल पर खनिज और प्राकृतिक संसाधन:
अटलांटिक महासागर के नितल में कई प्राकृतिक संसाधन समाहित हैं:
- तेल और गैस: महासागर के तल में तेल और प्राकृतिक गैस के विशाल भंडार मौजूद हैं। विशेष रूप से उत्तरी समुद्र (North Sea) और कैरेबियाई क्षेत्र में इनका उत्खनन किया जाता है।
- खनिज: अटलांटिक महासागर में खनिज, जैसे मैंगनीज नोड्यूल्स, सोडियम क्लोराइड (नमक) और अन्य समुद्री खनिज भी पाए जाते हैं।
6. उच्छवच और नितल के बीच अंतर:
- नितल (Seafloor): यह महासागर का तल है, जो समुद्र के नीचे स्थित होता है। यह गहरे गड्ढों, पर्वत श्रृंखलाओं और समतल क्षेत्रों से मिलकर बना होता है।
- उच्छवच (Surface): महासागर का उच्छवच या सतह वह स्थान है, जो जल से भरा होता है। यहाँ पर जलवायु, मौसम, और समुद्री जीवन की गतिविधियाँ होती हैं। यह महासागर का सबसे ऊपर का भाग है, जहां समुद्री जहाज चलते हैं और हवाई जहाज उड़ते हैं।