प्रवर्तन

       

  उत्पाद नियोजन करने तथा उत्पाद का आकार प्रकार रंग रूप पैटर्न आदि तय करने उसकी समुचित वितरण  हेतु वितरण  माध्यम का निश्चय करने और उसकी ढांचा तैयार करने के पश्चात परिवर्तन  व्युहारचना (promotion Strategy) तैयार करने की आवश्यकता होती है परिवर्तन प्रयासों द्वारा ही उत्पाद को उपभोक्ताओं की जानकारी   में लाया जाता है और उसके परावर्तन व्यूह रचना के अंतर्गत उत्पाद को बाजार एवं ग्राहकों तक मध्यस्थों के माध्यम से पहुंचाया जाता है और मध्यस्थों एवं ग्राहकों  दोनों  को ही प्रेरित किया जाता है।

 प्रवर्तन का अर्थ एवं परिभाषा

        अर्थ ( Meaning )-   

       प्रवर्तन संचार (Communication) का  ही एक रूप है जिसमें विचारों उत्पादों या सेवाओं को स्वीकार करने का  अनुनयन (Persuation) का   अतिरिक्त तत्व शामिल है वास्तव में अनुनयन  का मुख्य आधार है इसमें उपभोक्ताओं से वस्तु या सेवा को   प्रार्थना की जाती है वस्तु की जानकारी दी जाती है एवं प्राप्ति स्थान एवं कीमत बताई जाती है परिवर्तन में व्यक्तिगत ,विक्रय ,विज्ञापन , विक्रय प्रवर्तन इत्यादि शामिल हैं।

  प्रवर्तन के परिभाषाएं-

         विलियम लेजर के अनुसार," प्रवर्तन द्वारा एक कंपनी बाजार अथवा  विपणन   व्यूह रचना  के  संघटकों का उद्दीपन प्रदान करती है और सूचनात्मक तथा अनुनयी  संदेश उपलब्ध रहती है जिससे उनके व्यवहार को संशोधित किया जा सके।"।

          फिलिप कोटलर के अनुसार," वितरण  अंतर्लय  के सभी उपकरण जिन का प्रमुख योगदान अनुनय  संदेश है परिवर्तन के अंतर्गत आते हैं ।"

           मैसन  और रथ के अनुसार ," परिवर्तन में विक्री आ जाती है इस प्रकार तैयार की जाती हैं की माल या सेवाओं के लिए ग्राहकों के ध्यान को अपने अनुकूल किया जा सके"

            फिलिप कोटलर  के अनुसार ,"  विपणन अंतर्लय Marketing Mix के के सभी उपकरण  जिनका  प्रमुख योगदान अनुनय संदेश है, प्रवर्तन के अंतर्गत आते है। "

प्रवर्तन के उद्देश्य-

   1. माँग उद्देश्य-                                                        

           परिवर्तन मांग सृजन के लिए उत्तरदाई हैं उत्पाद की मांग सृजन हेतु अनेक परिवर्तन क्रियाएं काम में ली जाती है एक क्रियाएं मांग को बनाए रखने अथवा   प्रतिस्पर्धायो से मांग को  छीनने  के लिए हो सकती  हैं  इस प्रकार परिवर्तन का विचार उत्पाद की मांग को प्रवाहित प्रेरित बनाए रखने और सृजन करने के उद्देश्य से तैयार किए जाते हैं। 

2. संचार उद्देश्य -

      प्रवर्तन का उद्देश्य  जागृति   उत्पन्न करना है इसके अंतर्गत ग्राहकों व फुटकर व्यापारियों को उद्देश्य विशेषताओ उत्पाद, प्राप्ति ,स्थानों, उत्पाद ,क्षमताओं आदि के संबंध में सूचनाएं प्रदान की जाती हैं

3.  विशिष्ट तथा निष्पादन उद्देश्य-

     किसने उत्पाद संबंधित विशिष्ट सूचना प्रदान की जाती है जो उपभोक्ता के क्रय निर्णय को प्रभावित करती है 

1.  सूचना देना -

       प्रवर्तन क्रियाओं का मुख्य उद्देश सूचना देना है सूचना देना होता है ऐसे सूचना संभावित ग्राहकों को दी जाती है इस प्रकार के सूचनाएं में वस्तु की उपयोगिता प्राप्ति स्थान मूल्य कुछ मुख्य विशेषताओं को सम्मिलित किया जाता है।

2. याद दिलाना -

      वर्तमान समय में केवल सूचना देना ही पर्याप्त  नहीं  होता है  बाजार में प्रतिस्पर्धी उत्पादों की भरमार है अतः आवश्यकता इस बात की है कि उपभोक्ताओं को वस्तु या उत्पाद के संबंध में बार-बार याद दिलाई जाती है जिससे उपभोक्ता प्रतिस्पर्धी उत्पादों को ना झुकने पाया।

3. तैयार करना -

       परिवर्तन का उद्देश्य कर्ताओं को राजी करना या तैयार करना होता है या कार्य  आसान नहीं  होता है जब क्रेताओ  को बार-बार सूचना दी जाती है और याद दिलाई जाती है तो वह उत्पाद क्रय हेतु तैयार हो जाते हैं।

4. अन्य उद्देश्य -

       ब्रांड स्वामी भक्ति अथवा प्राथमिकता का विकास करना ,विक्रय में वृद्धि करना ,प्रतिस्पर्धी उत्पादों के ग्राहकों को अपने उत्पाद की ओर आकर्षित करना होता है ।

  प्रवर्तन  की आवश्यकता एवं महत्व  (Need and Importance of Promotion ) -

 प्रवर्तन  की आवश्यकता  एवं महत्व निम्नलिखित है। 

  1.  उत्पादक और उपभोक्ता के मध्य दूरी (Gap between Producer and Retailers) -

          बाजार के आकार में वृद्धि होने एवं   भावी  उपभोक्ताओं  को  संख्या लगातार बढ़ने के कारण उत्पादक और उपभोक्ताओं के मध्य दूरी बढ़ती है स्थानीय सीमाओं को पार कर राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुंच गए हैं  ।

2. थोक व फुटकर व्यापारियों की संख्या में वृद्धि (A Large Number  of Wholesalers)-

         बाजार के आकार के बढ़ाने के साथ-साथ होके एवं फुटकर व्यापारियों की संख्या में भी काफी वृद्धि हुई है ऐसी स्थिति में उत्पादक को न केवल उपभोक्ताओं को उत्पाद के गुणों और विशेषताओं के बारे में सूचित करना पड़ता है बल्कि मध्यस्थों को भी उत्पाद के बारे में आवश्यक जानकारी देनी होती है

3.  विक्रय पतन  (sales Decline )-

         जब एक उत्पाद की बिक्री गिरने लगती है तो उस समय इस स्थिति पर काबू पाने में परिवर्तन क्रियाएं विशेष सहायक  होती है   वास्तव  में ऐसी अवस्था में परिवर्तन एक  अनिवार्यता है

4. प्रतिस्पर्धा  (Competition)- 

          आज का युग प्रतिस्पर्धा का युग है जो कि व्यवसायिक क्षेत्र में भी प्रतिस्पर्धा नियंत्रण बढ़ रही है ऐसी स्थिति में परिवर्तन परिवर्तन आवश्यक है कुछ सीमा तक तो यह भी कहा जाता है कुछ समय तक जाता है जब   उत्पादकों को मध्य   प्रवर्तन क्रियाओं संबंधित   प्रतिस्पर्धा  भी पाई जाती है 

5. बड़े पैमाने पर उत्पादन  (Large Scale Production)- 

          बड़े पैमाने पर उत्पादन हेतु बड़े पैमाने पर विक्रय आवश्यक है और बड़े पैमाने पर विक्रय के सफल बनाने के लिए परिवर्तन क्रियाओं का विशेष मध्य  पर बड़े पैमाने पर होने वाले उत्पादन से उनके  मितव्ययिताएं   प्राप्त होती है और उत्पाद की कीमत कम किया जा सकता है जिसे बाजार में प्रतिस्पर्धा का सामना करने में सफलता मिलती है 

प्रवर्तन का निर्णय-

         जब वितरण की योजना तैयार हो जाती है तो समग्र प्रवर्तन  कार्यक्रम  विकसित किया  जाता है जिसे लक्षित बाजार तक पहुंचाया जा सके प्रवर्तन  के विभिन्न तत्वों के लिए बजट तैयार किए जाते  है । 

1.  प्रवर्तन  बजट का निर्धारण करना  ( Determining Promotion  Budget)  

2.  बाजार के बारे में जानकारी प्राप्त करना  (Knowing about the Market )

3.  अपील  (The Appeal) 

Post a Comment

Previous Post Next Post