उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 (Consumer Protection Acts 1986 )

उपभोक्ता  संरक्षण   अधिनियम








उपभोक्ता  संरक्षण   अधिनियम उपभोक्ताओं  के शोषण  के विरुद्ध एक कारगर प्रयास  हैं  उपभोक्ता संरक्षण का बिल 9  दिसंबर  1986  की भारतीय संसद के पटल पर  रखा गया जो पारित हो गया। और 24  दिसंबर 1986  को भारत के   राष्ट्रपति ने इस अधिनियम पर अपनी स्वीकृति प्रदान की  और यह अधिनियम जम्मू कश्मीर राज्य को छोड़ कर सम्पूर्ण भारत में 15  अप्रैल 1987  लागु हो गया। 

 इस अधिनियम के प्रमुख विशेषता हैं  





1 .यह अधिनियम सभी वस्तुओं  तथा सेवाओं पर लागु होता है। 

2 .यह अधिनियम सभी क्षेत्रों  एवं सेवाओं  पर लागु होता है। 

 3. यह अधिनियम  की  व्यवस्थाएँ  क्षतिपूरक  प्रकृति की है। 

4 . इस अधिनियम के पारित होने से भारत विश्व का पहला ऐसे देश बन गया है जिसने उपभोक्ता के हितों  में संरक्षण प्रदान किया है। 

5 . इसके अंतर्गत कोई अन्य शुल्क नहीं देना पड़ता है और न ही  किसकी पर आवेदन पर टिकट ही लगाना पड़ता है इस प्रकार इसकी सम्पूर्ण प्रक्रिया नि :शुल्क   हैं। 


6 . यह अधिनियम धर्म निरपेक्ष प्रकृति का है। 

उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की मुख्य विशेषताएं (Salient  Features  of  Consumer  Protection  Act )

 उपभोक्ता संरक्षण  अधिनियम  की प्रमुख्य  विशेषताएं निम्न्लिखित  हैं 

1. क्षेत्र  का फैलाव ( coverage  of Sectors)   यह अधिनियम  निजी private  सावर्जनिक  Public  तथा सहकारी Cooperative  सभी क्षेत्रों में  लागु  होता है। 

2 .मंदो  का फैलाव( Coverage of items)   यह अधिनियम  सभी वस्तुओं  तथा सेवाओं  पर लागु होता हैं  जब तक कि  किसी प्रकार के   वस्तु तथा सेवा को केन्द्रीय  सरकार  दुबारा विशेष  रूप से अधिनियम से मुक्त न कर दिया जाये। 

3 .प्रभावी संरक्षण( Effective Safeuards )  इस अधिनियम के अंतर्गत सभी क्रियाओं पर रोक लगाना ही प्रधान हैं।  और जो उपभोक्ताओं के जोखिम  उत्प्नन करती हो। 

4 .उपभोक्ता संरक्षण (   Consumer  Protection  Council  ) उपभोक्ता  संरक्षण  के पक्ष  को बढ़ावा  देने के लिए  तथा  उपभोक्ताओं  को शिक्षित  करने  के लिए  अधिनियम  में उपभोक्ता  संरक्षण    परिषदों  की  स्थापना का प्रावधान भी किया गया है। 

5 .समय   निवारण ( Time  Bound  Redressal  ) अधिनियम  की  एक अहम्  विशेषता  यह है कि  इसके   अंतगर्त विवादों का निपटारा समय पर किया जाता है। 

उपभोक्ता  अधिकार   Consumer  Rights 

 उपभोक्ता  संरक्षण अधिनियम के तहत 1986  की धारा  6  में उपभोक्ता को छ : अधिकारों में उल्लेख  किया गया है। 

1 .सुरक्षा  का अधिकार  (The  Rights  to  Safety ) सुरक्षा  का अधिकार   से  आशय  ऐसे अधिकार से है जो उपभोक्ता के समस्त ऐसी वस्तुओं के  विपणन  के लिए सुरक्षा  प्रदान  करने  में  सहायक  है जो की  उसके स्वास्थ्य एवं जीवन के लिए खतरनाक  हो सकता है।  जैसे वस्तुओं में मिलावट  एवं  खतरनाक  रसायन    आदि 

2 .सुचना प्रदान करने  अधिकार (The Rights   to be  Informed ) इस  अधिनियम के अंर्तगत किसी भी वस्तु  तथा सेवा  क्रय  करने से पूर्व  उपभोक्ता  उसका सम्बन्ध  में सुचना प्राप्त कर सकता है;  जैसे  वस्तु  की  किस्म , स्तर  मूल्य ,  उपयोग विधि  आदि 

3 .सुने जाने  का अधिकार ( The  Right  to  be  Heard)उपभोक्ता   यह अधिकार उसकी  परिवेदनाओं  तथा उसके सुरक्षा  एवं  हितों   संरक्षण  में  संबन्धित  विचारों  के सुने जाने    का  अधिकार है। इसके साथ ही  उसका ये अधिकार विशवास  दिलवाता हैं। 

4 .उपचार  का अधिकार( The  Right to  be  Redressed)  यह  अधिकार  उसे   अपनी परिवेदनाओ   एवं  शिकायतों का उचित एवं  न्यायपूर्ण   उपचार अथवा समाधान प्रदान करता है। इस अधिकार के अंतर्गत वह न्यायालय   की शरण  ले सकता है। इस अधिकार से उसे अनैतिक तथा अनुचित एवं  अनैतिक शोषण  से मुक्ति  मिल सकता हैं। 






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