उपक्रम का स्थापना
(Setting up of Enterprise )
उपक्रम का चुनाव कर लेने के बाद साहसी इसे स्थापित करने की बात सोचता है । उपक्रम कहा स्थापित किया जाए कैसे और कब स्थापित किया जाए उसके बारे में तथ्यों पर विचार करने के लिए सर्वप्रथम सोच कर चलना चाहिए। की उपक्रम का आकार लघु स्तरीय से ही आरम्भ करना चाहिए।
किसी भी उपक्रम के जन्म लेने में दो शक्तियां ठीक उसी प्रकार काम करती है । जिस प्रकार बच्चे को जन्म लेने में उसके माता और पिता । जब साहसी को योग्यता क्षमता सृजनशीलता की शक्ति बाजार की वर्तमान अवस्था के संतुलित हो जाती है ।इस उपक्रम रूपी बच्चे के जन्म से पहले साहसी इसकी रणनीति बना लेता है क्योंकि उपक्रम को पैदा करना ही पर्याप्त नहीं होता लेकिन ऐसा उपाय बनाकर रखने से होते है की यह उपक्रम औद्योगिक जगत में बड़े फूले फले सितारा आदि होते है ।
बिल बोल्टन तथा जॉन थॉमस के अनुसार ," सी
इन दोनों का कहना की रणनीतियो वे है जिसे उपक्रम करती ,या वैसे राह है जिस पर वह चलती है तथा वह निर्णय है जिसके द्वारा यह सफलता के एक निश्चित स्तर तक पहुंचती है ।
उपक्रम स्थापना से पूर्व ध्यान देने योग्य बातें
Factors to be considered before establishing an enterprise
किसी भी उपक्रम को चलाने के लिए पांच M की आवश्कता होती है 1 श्रम 2 कच्चा माल 3 संयंत्र 4 मुद्रा 5 बाजार
1. श्रम (Men)
उत्पादन के समस्त साधनों में श्रम ही एक सक्रिय साधन है जो अन्य सभी साधनों को क्रियाशील बना कर किसी भी अनुपयोगी चीज को उपयोगी बना देता है । अच्छी श्रम शक्ति के आधार पर उपक्रम की सफलता सुनिश्चित की जा सकती है । लेकिन उपक्रम को चलाने के लिए की कुशल तथा अकुशल दोनों तरह के श्रम की आवश्कता होती है ।
2. कच्चा माल( Raw Meteriel )
यदि उपक्रम उत्पादन से संबंधित है तो स्थापना से पूर्व कच्चे माल की उपलब्धता किस्म मूल्य आपूर्ति आदि पर विचार करके इनकी व्यवस्था कर लेनी चाहिए । कच्चा माल के अभाव में उत्पादन की सारी प्रक्रिया खत्म हो जाती है ।
3. संयंत्र (Machine )
कोई भी उत्पादन चाहे छोटा हो या बड़ा किसी पैमाने पर होते है इसके लिए सयंत्रो का आवश्यकता हर जगहों पर किया जाता है। उपक्रम शुरू करने से पूर्व उसमे लगाने वाली मशीन एवम उपकरणों की खरीद पहले कर लेनी चाहिए ।
4. मुद्रा (Money)
मुद्रा तथा पूंजी उपक्रम का जीवन है। इसके बिना जीवन की कल्पना भींकी जा सकती है। और उपक्रम के लगने वाली स्थायी पूंजी या चालू पूंजी आवश्कता निर्धारित किया जाता है।पूंजी की व्यवस्था के लिए कुछ रकम साहसी लगाते है। और बाकी रकम बैंक या अन्य संस्था से लगाया जा सकता है। जब उपक्रम को नुकसान हो तो उसे उसे सहन पड़ता है ।
5.बाजार ( Maket)
अगर उपक्रम चलाने के पहले उत्पाद को बाजार में खपत होने का अंदाज लगा लेना चाहिए । जिसे साहसी को उपक्रम में उत्पादन क्षमता रखेगा क्योंकि मांग से कम और अधिक उत्पादन दोनों ही स्थित साहसी के लिए हानिकारक है ।
6 स्थान( Place)
हमे उपक्रम किस प्रकार के स्थापित करना चाहिए । उसके बारे सुनिश्चित कर लेना चाहिए जिसके लिए आधारभूत संरचना हो , जैसे पानी ,बिजली ,बैंक, बाजार , और रेल, सड़क इत्यादि । जैसे और वहा पर बाजार और कच्चे माल का आगमन हो सके ।
7.निर्माण प्रकिया( Manufacturing Process )
उपक्रम स्थापना करने से पहले उत्पाद को उत्पादित करने के लिए सबसे पहले उसे सुनिश्चित कर लेना चलिए। जिसे हम अपना उपक्रम का निर्माण कर सके ।ऐसे होने से उत्पादन का pकार्य तेजी से काम करता है । प्रत्येक प्रकिया में लगने वाला समय आवश्यक सामग्री यंत्र उपकरण तथा कर्मचारी को पूर्वानुमान लगा लेना चाहिए ।
8. प्रोजेक्ट (Project)
सभी तथ्यों को निर्धारित करते हुए एक प्रोजक्ट तैयार कर लेना चाहिए ।इस रिपोर्ट में सारी विवरण होना चाहिए और इसे एक आवेदन पत्र के साथ सरकार के उद्योग विभाग ने पंजीकरण करा लेना चाहिए । जिसे आगे कोई भी दिक्कत ना हो सके ।
उपक्रम स्थापना की क्रियान्वय
अस्थायी पूंजीकरण हो जाने के बाद अब साहसी उपक्रम स्थापना के व्यवहारिक कार्य में लग जाते है । इसमें वह निम्न लिखित कार्य करते है ।
1. स्थान व्यवस्थित करना
Arranging the site
उपक्रम को जिस स्थान पर स्थापित करना हैं उन सारी सुविधा को ध्यान देना चाहिए जो उपक्रम के लिए आवश्यक होते है। इस स्थान पर पहुचनेबके लिए आगवामन पानी बिजली आदि की व्यवस्था कर लेनी चाहिए ।
2. भवन निर्माण
Construction Building
उपक्रम के लिए कभीबकभी आधौगिक क्षेत्र में सरकार द्वारा ही भवन या स्थान प्रदान करना चाहिए जिसके लिए किराया लिया जाता है अगर यह संभव न हो तो जमीन खरीद कर भवन बनाया जा सके और इसे भविष्य के विस्तार को ध्यान में रख कर मकान बनवाना चाहिए ।
जांच उत्पादन Trial Production
यंत्र स्थापित हो जाने के बाद उसे थोड़े कच्चे माल से उत्पादन की प्रक्रिया आरंभ कर लेनी चाहिए । और उसमे देखना चाहिए की क्या कमी हो रही हैं ऐसे कार् लेने से तैयार उत्पादन को बाजार ने भेजने से पहले उसकी जांच हो जाती है।
पैकिंग एवं वितरण व्यवस्था Packing and Distribution
अगर जांच उत्पादन के बाद साहसी की देखना है की सब कुछ ठीक है की नहीं । इस तैयार उत्पाद की पैकिंग व्यवस्था ठीक s कर के इसके विवरण के दी जाती है। और उसे ध्यान से पैकिंग किया जाता है और माल किसे देना है इन बातो का निर्णय साहसी अपनी सुविधानुसार कर लेता है ।
बाजार में प्रवेश Entry into Market
पैकेजिंग और विवरण व्यवस्था दुरुस्त कर लेन के बाद अब साहसी का उत्पाद बाजार में दाखिल ले लेता है । जहां उसकी असली परीक्षा हो सके ।