नियोजन का अर्थ
(Meaning of Planning )
नियोजन करने के पूर्व से सोचने की प्रक्रिया है । दूसरे शब्दों में कल के कार्य आज के निर्धारण करना नियोजन है निर्धारित लक्ष्य उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए क्या करना है। क्यो करना है, कैसे करना है ,किन-किन साधनों के उपयोग से करना है, इन आदि बातों को पूर्व निर्धारण करना है नियोजन कहलाता है। उपक्रम द्वारा निर्धारित उद्देश्यों एवं लक्ष्य को प्राप्त करने की विभिन्न विकल्प हो सकते हैं उनमें अपने सीमित उपलब्ध साधनों के अनुरूप सर्वोत्तम विकल्प का चयन किया जाना ही नियोजन है ।
नियोजन किसी कर को करने से पूर्व सोच विचार करने एवं सर्वोत्तम विधि के चयन की भौतिक प्रक्रिया है ।भविष्य के गर्भ में झंकार सर्वोत्तम वैकल्पिक कार्य चयन करना है प्रबंधकीय नियोजन कहलाता है।
नियोजन की परिभाषाएँ
(Definitions of Planning)
प्रबंधन के क्षेत्र में यद्यपि नियोजन सबसे अधिक जाना पहचाना एवं लोकप्रिय शब्द है किंतु फिर भी इसकी एक सवर्मान्य परिभाषा देना कठिन है । नियोजन की परिभाषाएं निम्नलिखित है।
बिली ई ०गोज के अनुसार ,"
' नि1योजन प्राथमिक रूप में चयन करना है तथा नियोजन की समस्या इस समय उत्पन्न होती है जबकि वैकल्पिक कर कार्य का पता चलता है।"
कूंट्ज के अनुसार ,"
'नियोजन एक बौद्धिक प्रक्रिया है जिस कार्य करने का मार्ग का सचेत निर्धारण है निर्णय को उद्देश्यों तथ्य तथा पूर्व अनुमानों पर आधारित करना है ।"
डब्ल्यू एच न्यूमैन के अनुसार,"
'सामान्य रूप में भविष्य में क्या करना है इससे पहले से ही तय करना नियोजन करता है इस दृष्टि से नियोजन मानवी आचरण का अत्यंत व्यापक रूप है।"
एम ई ०हर्ले के अनुसार,"
'क्या करना चाहिए इसका पहले से ही तय किया जाना नियोजन कहलाता है ।इसमें विभिन्न वैकल्पिक उद्देश्य नीतियों विधियां तथा कार्यक्रमों में से चयन किया जाना निहित होता है।"
एलेन के अनुसार ,"
'नियोजन भविष्य को पकड़ने के लिए बनाया गया एक पिंजारा है।"
यह सभी परिभाषाओं से यह स्पष्ट होता है की किसी भी कार्य को करने से पहले सोचना पड़ता है कि उनके पास जो साधन इस समय मौजूद है उस पर कार्य करने का सबसे अच्छा तरीका क्या होता है ।कार्य करने से लक्ष्य क्या होगा तथा कार्य करने से जो कठिनाई आएगी वह किस प्रकार हल किया जा सकता है।
निष्कर्ष
उपयुक्त परिभाषा का अध्ययन करने के उपरांत हम इस निष्कर्ष पर हैं कि निर्धारित लक्ष्य की प्राप्ति के लिए भावि कार्यकलापों के विषय में वैकल्पिक क्रियो में से सर्वोत्तम के चयन हेतु निर्णय लिया जाना एक निर्धारण किया जाना ही नियोजन है।
नियोजन के लक्षण तथा विशेषताएं तथा प्रकृति
नियोजन के लक्षण और विशेषताएं और प्रकृति निम्नलिखित है
निर्धारित उद्देश्य एवं लक्ष्य होना
नियोजन का कार्य निर्धारित लक्ष्य एवं उद्देश्य की पूर्ति के लिए किया जाता है अतः प्रत्येक नियोजन इस लक्ष्य को सदैव ध्यान में रखता है और उसी के अनुरूप अपना योजना बनाता है अनुमान लगाना
पूर्वानुमान लगाना
नियोजन का महत्वपूर्ण लक्ष्य भविष्य के बारे में देखना और पूर्वानुमान लगाना होता है
नियोजन किशोर व्यक्ति व्यापकता नियोजन का होना होता है कोई व्यक्ति चाहे कंपनी का अध्यक्ष साधारण का फोरमैन संगठन के प्रत्येक स्तर पर नियोजन की आवश्यकता पड़ती है
नियोजन एक निरंतर और लोचयुक्त प्रक्रिया
भविष्य अज्ञात है तो क्या होने वाला है यानी निश्चयात्मक रूप में कोई नहीं कर सकता है क्योंकि विभव इसके लिए किया जाता है अतः
बौद्धिक एवं मानसिक प्रक्रिया
नियोजन प्राथमिक रूप में एक भौतिक एवं मानसिक प्रक्रिया है क विकल्पों में से सर्वोत्तम अध्ययन करना होता है और यह कार्य दूरदर्शिता विवेक एवं चिंतन पर निर्भर करता है जिसे हर कोई व्यक्ति नहीं कर सकत्ता है ।
अन्य
1. नियोजन एक व्यापारिक होना निशांत आवश्यक है
2. नियोजन में समय तक अधिक महत्व रखता है
3. नियोजन एक मार्गदर्शक का कार्य करता है
4. नियोजन प्रबंध का कार्य कुशलता का आधार है
निर्णय नियोजन का एक अंग है अत: नियोजन का क्षेत्र निर्यात की तुलना में व्यापक है नियोजन में सीमित साधनों का ध्यान रखा जाता है।
निरंतर प्रक्रिया:
यह एक सतत प्रक्रिया है, जो संगठन के उद्देश्यों और पर्यावरणीय परिस्थितियों के अनुसार निरंतर चलती रहती है।
विभागों और कार्यों के बीच समन्वय और एकीकरण स्थापित किया जाता है।प्रभावशीलता और दक्षता: नियोजन का मुख्य उद्देश्य संसाधनों का अधिकतम उपयोग कर प्रभावशीलता और दक्षता प्राप्त करना है।
नियंत्रण का आधार: नियोजन प्रक्रिया के आधार पर ही संगठन में नियंत्रण प्रणाली विकसित की जाती है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि संगठन के उद्देश्यों की प्राप्ति सही दिशा में हो रही है।