व्यवसाय का विस्तार
Expansion of Business
एक उपक्रम में उद्यमी के निजी संसाधनों के साथ-साथ समाज का धन भी लगा होता है एवं एक आदमी के लिए मात्र व्यवसाय का संचालन करते रहना है पर्याप्त नहीं है व्यवसाय का लाभ विस्तार भी किया जाना आवश्यक है प्रत्येक उपक्रम को विकासशील होना चाहिए लेकिन विद्यमान संसाधनों का अधिक से अधिक उत्पादक उपयोग हो सके और पूंजी निर्माण में वृद्धि हो व्यवसाय का विस्तार न केवल उद्यमी के हित में होता है और रोजगार धन संपदा पूंजी निर्माण बचत उत्पादन में वृद्धि हो जाने में संपूर्ण समाज लाभान्वित होता है उद्यमी को हमेशा व्यवसाय के विकास एवं विस्तार की नीति का पालन करना चाहिए
व्यवसाय के विस्तार मे कुछ प्रमुख समस्या निम्नलिखित है जो इस प्रकार है ।
1. जोखिम प्रबन्ध
(Risk Management)
व्यवसाय के विस्तार में अनेक प्रकार की जोखिम उठानी पड़ती है ।जैसे - मांग परिवर्तन, उपभोक्ता की रुचि फैशन ,आदतों में बदलाव, विकास लगता की वसूली, इत्यादि विद्यमान होती है। यदि उपक्रम का विस्तार विकास एक सहज प्रक्रिया है। किंतु इसकी जोखिमों का उचित प्रबंध न किया जाने पर इसकी सफलता हो जाती है । कुछ जोखिमों के प्रति तो बीमा द्वारा सुरक्षा प्राप्त की जा सकती है ।जिसे कोई जोखिम संगठन का पूर्वानुमान करके उसे सुरक्षा के लिए उपाय कर सके।
2.मूल्य नीति
(Price Policy)
एक विकासशील व्यवसाय को अपने मूल नीति का समय-समय पर मूल्यांकन करना चाहिए ।यदि लाभ के लिए कीमत निर्धारण का लक्ष्य उचित है ।फिर भी उधमी को अनेक घाटको जैसे प्रतिद्वंदियों को संभावित प्रतिक्रिया ,वैधानिक सीमाएं ग्राहक प्रतिक्रिया, सामाजिक लक्ष्य, उपभोक्ता आकांक्षाएं ,और विकास आदि पर विचार करते हैं ।अपने उत्पादों का मूल्य निर्धारण करना चाहिए । जिसे बाजार में कीमत प्रतिष्ठा प्रतिस्पर्धा बनी रहे ।
3.विकास पूंजी की आवश्यकता
Requirement of Growth capital
व्यवसाय के विस्तार में संसाधनों की मात्रा बढ़ जाती है ।उद्यमी को अधिक मात्रा में कच्चा माल, यंत्र ,मशीन, तकनीकी सेवाएं, मरम्मत इत्यादि की आवश्यकता होती है ।उसे विकास की अनेक योजनाओं को पूरा करना होता है । यदि विकास विस्तार में आधुनिक कारण और अनेक परिवर्तन निहित होते हैं। इनसब कार्यों के लिए उद्यमी को विकास पूंजी की व्यवस्था करनी होती है ।
4.प्रभावी प्रबंधन योग्यता
Effective Management Talent
व्यवसाय की प्रक्रियाओं का विस्तार होने पर उद्यमी को अधिक योग्य प्रशिक्षण तकानिकी विशेषज्ञों और प्रशिक्षत प्रबंधक की सेवाओं की आवशकता होती है । उत्पादन और प्रबंधन के क्षेत्र में नवीनतम परिवर्तनों और तकनीकियों का प्रशिक्षण प्रदान करके हि प्रबंध दल की प्रवीणता में वृद्धि की जा सकती है।
5.विज्ञापन और विक्रय संवर्धन
Advertusing and sales Promotion
विकास विकसित व्यवसाय को अपने विज्ञापन और विक्रेता संवर्धन अभियान पर भी निरंतर ध्यान देना चाहिए । फॉर्म को अपने संभावित ग्राहकों को परिभाषित करने चाहिए। ग्राहकों की रुचि क्रय व्यवहार मनोवैज्ञानिक धारणाओं आदि को भी ध्यान में रख करें विक्रय वृद्धि की योजनाएं संचालित की जाने चाहिए। व्यवसाय के विस्तार के साथ-साथ उधमी फॉर्म को अपने विचारों ग्राहकों एवं वितरको को विस्तार करना चाहिए।
6. लाभ विभाग नियोजन एवं नियंत्रण
Profit Planning and Expenses Control
अपनी क्रियो का विस्तार करते समय उद्यमी को लाभ एवं व्ययो से संबंध में एक उपयुक्त योजना बनाने चाहिए ।उद्यमी को लाभ अर्जित करने की क्षमता पर विक्रय की मात्रा एवं लगता का गहरा प्रभाव पड़ता है। उसे लागत मात्र लाभ का विश्लेषण करके व्यवसाय को लाभ अर्जन करने की क्षमता का मूल्यांकन करते रहना चाहिए।
7. नवप्रवर्तनकारी अभिवृत्ति
Lnnovating Attitude
8. संयंत्र अभिन्यास
Plant layout
9.अति पुंजीकरण की समस्या
Problem of over capitalisation
10. व्यक्तिगत संपर्क एवं संबंध
Personal contact and Relations
उद्यमी द्वारा सामना की जाने वाले चुनौतियां
प्रबंधकीय वर्गों के द्वारा उपक्रम के परिवर्तन में जिन-जिन चुनौतियों के सामना करना पड़ता है और मुख्य रूप से उधमशील फॉर्म के द्वारा भी प्राय उन्हें चुनौतियों को सामना करना पड़ता है । परंतु कुछ समस्याएं एवं चुनौतियां ऐसी भी है। जिसका सामना केवल उद्यमी के द्वारा ही किया जाता है frederic webster इन समस्याओं का वर्णन अवस्था में बाटकर किया है ।