प्रबंध के सिद्धांत का अर्थ

 प्रबंध के सिद्धांत का अर्थ - 

        प्रबंध के सिद्धांत   के आधार पर  प्रबंध अपने ही  संस्थान के भविष्य की कल्पना करता है ।  तथा इन सिद्धांतो के आधार पर ही छोटी छोटी गलतियों  से बचा जा सकते है।जॉर्ज आर.टैरी के अनुसार ,"किसी भी विचार या कार्य को मार्ग प्रदान करने। वाले सत्य को  प्रबंध का सिद्धांत कहते है। ,"

       हेनरी फियोल के आनुसार,"प्रबंध के सिद्धांत   स्थिर नहीं  होते   हैं बल्की लोचपूर्ण होते है जिनका प्रयोग बदलती हुई परिस्थितियों को ध्यान में रखकर किया जाना चाहिए।,"

       दूसरे शब्दों में एडविन के  सिद्धांत,"  आधारभूत सत्य है और यह सामान्यत:कारण एवम परिणाम में संबंध प्रकट करता है ।''

Koontaz and Donnell के अनुसार,"प्रबंधकीय सिद्धांत सामान्य वैधता के आधारभूत सत्य है जो प्रबंधकीय प्रक्रिया के परिणामों  का पूर्वानुमान लगाने का क्षमता रखते -

प्रबंध के सिद्धांतों  की प्रकृति( nature of management principles )-

      प्रबंध के सिद्धांतो को लागू करने के पूर्व उनके  लक्षण प्रकृति को समझना आवश्यक है  प्रबंध के सिद्धांत की प्रकृति निम्नलिखित है -

1. गतिशीलता(DYnamic)प्रबंध हमेशा  अपने कार्य को लेकर गतिशील होते है  और उनके सिद्धांत भी गतिशील होते है वे समय के साथ प्रतिवर्तित होते है और उनमें सुधार भी होता है ।

2.सापेक्षिक (प्रबंध के सिद्धान्त सापेक्षिक होते है ।जिस प्रकार अर्थशास्त्र के प्रत्येक सिद्धांत का शर्त होता है  की यदि  अन्य बाते समान रहे । ठीक उसी प्रकार प्रबंध के सिद्धान्त में भी यह शर्त लागू होता है ।

3.सार्वभौमिक (universal) प्रबंध के सिद्धांतो को एक प्रमुख विशेषता यह है की इन सिद्धांतो को सभी प्रकार के संगठनो तथा संस्थानों में अपनाया जाता हैं दूसरे शब्दो में कहा जाता है की इन सिद्धांतो को घरों मंदिरो  गुरुद्वारा मस्जिद , व्यवसायिक, राजनीतिक सभी संगठनो के प्रबंध को अपनाया जाता है । तथा इन सिद्धांत को देशों में भी अपनाया जा सकता है और संक्षप  के भी इसे सार्वभौमिक तथा सर्वव्यापी है 

4. मानव व्यवहार से प्रभावित (Affected by Human behaviour) प्रबंधक मानव  की  तरह व्यवहार  करता है की वह इन क्रिया को मार्गदर्शन , निर्देशन ,तथा नियंत्रण करता है 

5. सिद्धांत नियमों से भिन्न होते है  (principles different form rules) सिद्धांत कार्यो एवम विचारो का मार्गदर्शन करते है  जबकि नियम कार्यों का रीति बनाते है  यदि नियम द्वारा बताई रीति का पालन नहीं करने पर दण्ड भोगना पड़ता है  अगर कोई भी नियम बनाया गया हो तो उस नियम पालन करना चाहिए ।

6. सिद्धांत नीतियों से भिन्न होते है  (principles different for policies) यह शोध एवम परीक्षण के आधार पर निर्धारित कार्यों तथा विचारो के लिए मार्गदर्शक बाते है जबकि नीतियां किसी संस्था द्वारा निर्धारित वे मार्गदर्शक बाते है जो इनके संस्था में निर्णय लिया जाता है  कोई भी नीति सिद्धांत के आधर पर निर्णय लिया जाता है ।

 प्रबंध  के सिद्धांतो की  आवश्यकता तथा महत्व Need and Importance of Management principles

      प्रबंधन प्रबंधन के सिद्धांत प्रबंधकों के लिए अति महत्वपूर्ण है उनके लिए यह सिद्धांत पथ प्रदर्शक का  कार्य करते हैं तथा प्रबंधकों के जीवन में इन का अत्यधिक महत्व होता है प्रबंधक के लिए प्रबंध के सिद्धांत अपरिहार्य साधन है संक्षेप में प्रबंधक के सिद्धांतों का महत्व निम्नलिखित कारणों से होता है  

1. कार्य कुशलता में वृद्धि (increases Efficiency)-

      प्रोफ़ेसर koontaz तथा  ओ डोनेल ने लिखा है प्रबंध के सिद्धांतों से निश्चित ही प्रबंधकीय  कुशलता  में सुधार होता है वास्तव में जब प्रबंधक को प्रबंध के सिद्धांतों की जानकारी होती है वह अधिक अच्छी तरह से संस्था को समस्याओं का समाधान हो सकता है उनको अनुभव हो जाता है कि निर्णय लेने की आस्थान व सिद्धांतों के आधार पर निर्णय ले सकता है  तथा  सम्पूर्ण कार्य कुशलता में वृद्धि भी होती है

2.  उद्देश्यों की पूर्ति (Fulfils of social Objectives)-

     कुशल प्रबंध सामाजिक उद्देश्यों की पूर्ति में महत्वपूर्ण रूप से योगदान होता है प्रबंध के सिद्धांतों के विकास एवं उपयोग से भी संसाधनों का कुशलता पूर्वक उपयोग किया जा सकता है और यह समाज के लोगो को  आर्थिक  संतुष्टि  एवम अच्छा जीवन स्तर उपलब्ध है। इसलिए कहा जाता है कि सामाजिक उद्देश्य को पूर्ति करता है

3 .प्रबंधकीय शोध में रुचि (interest  in Managerial research)-

      प्रबंधक प्रबंध के सिद्धांतों के विकास का कारण एवं परिणाम है है तथा नया नया सिद्धांत का विकाश  होगा नए नए  प्रबंध के शोध आयाम विकसित होंगे।

4 . तथा मानवीय संसाधनों में समन्वय(Co-ordination between Physical and human resources)-

      प्रबंध किस सिद्धांत संस्था के उद्देश्य एवं लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए भौतिक तथा मानवीय संसाधनों में समन्वय स्थापित करने में महतपूर्ण भूमिका निभाते हैं ये सिद्धांत उपरोक्त समिति संसाधनों का अनुकुलम उपयोग संभव बनाते हैं

5 .प्रबंधकीय कार्यों का समुचित निष्पादन (proper perfomance of Managerial Funcation )-

       प्रबंध के सिद्धांतों के विकास एवं व्यवहार से प्रबंधक की कार्यों को ठीक ढंग से पूरा किया जा सकता है नियोजन, संगठन ,निर्देशक, नियंत्रण आदि प्रबंध के कार्यों को इन सिद्धांतों के आधार पर अभी सफलता के साथ पूरा किया जा सकता है

6 .जटिल समस्याओं के समाधान में योगदान(helps in solving complex problems)-

      अनुभव शोध विश्लेषण तथा परीक्षण के आधार पर सिद्धांत व्यवसायिक जगत को जटिल से जटिल समस्याओं का समाधान में योगदान दे सकते हैं तथा यह व्यवसाय को गतिशील वातावरण एवं उसके प्रभाव को समझने के लिए योगदान देते हैं इस फल का व्यवसायिक जटिलताओं में भी सफलता प्राप्त की जा सकती है








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